Chandragupt

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चन्द्रगुप्त (सन् 1931 में रचित) हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार जयशंकर प्रसाद का प्रमुख नाटक है। इसमें विदेशियों से भारत का संघर्ष और उस संघर्ष में भारत की विजय की थीम उठायी गयी है। प्रसाद जी के मन में भारत की गुलामी को लेकर गहरी व्यथा थी। इस ऐतिहासिक प्रसंग के माध्यम से उन्होंने अपने इसी विश्वास को वाणी दी है। शिल्प की दृष्टि से इसकी गति अपेक्षाकृत शिथिल है। इसकी कथा में वह संगठन, संतुलन और एकतानता नहीं है, जो ‘स्कंदगुप्त’ में है। अंक और दृश्यों का विभाजन भी असंगत है। चरित्रों का विकास भी ठीक तरह से नहीं हो पाया है। फिर भी ‘चंद्रगुप्त’ हिंदी की एक श्रेष्ठ नाट्यकृति है, प्रसाद जी की प्रतिभा ने इसकी त्रुटियों को ढंक दिया है।