विकसित भारत हमारा सामूहिक संकल्प

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विकसित भारत हमारा सामूहिक संकल्प भारतीय परम्परा में प्राचीन काल से कहा जाता रहा है कि एकम् सत् विप्राः बहुधा वदन्ति। इस विचार ने चर्चा की एक मूल्यवान परंपरा और जीवन विषयक विभिन्न विचारों की स्वीकृति के द्वार खोल दिए है, और उसकी पूर्ण स्वीकार्यता भी व्यक्त की है। इसलिए 125 वर्ष पहले स्वामी विवेकानंद ने गर्व से यह घोषणा की थी कि हमारा दर्शन सहिष्णुता से आगे बढकर, हम सत्य तक पहुँचने के सभी मार्गों को स्वीकार करते है। भारत की यह युगों पुरानी प्राचीन परंपरा जीवन के सनातन दृष्टिकोण से उत्पन्न होती है जो आध्यात्मिकता पर आधारित है