अदाकारा - 58

  • 234
  • 96

*अदाकारा 58*    "मेरा बैंगलोर का काम एक दिन पहले खतम हुआ तो होटल में रुकने के बजाय मैं अपने घर आ गया।"   सुनीलने अपना पक्ष रखने की भर पुर कोशिश की।  तभी बृजेशने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा।   "और इसकी टाइमिंग भी कितनी बेहतरीन हुई हैना?आप यहां फ्लाइट से उतरे और वहां उसी समय शर्मिला की हत्या हो गई।और हाँ मिस्टर सुनील ये आपके माथे पर जो चोट के निशान है इसके लिए क्या बहाना है?"   "बहाना?"   सुनीलने चौंकते हुए पूछा।   "हाँ।हाँ बहाना?बताओ तो सही।में भी तो सुनु कौनसी स्टोरी तुम बनाते हो?"   बृजेश