खेल खेल में - जादूई - भाग 1

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"खेल खेल में - जादूई"जिंदगी एक खेल है ऐसा कुछ लोग मानते हैं।लेकिन जिंदगी को सिरीयस में लेना चाहिए।एक ऐसी कहानी है जिसमें नायक को एक जादूई किताब मिलती है और उस किताब के जरिए एक जादूई दुनिया यानी जादूई दुनिया में पहुंच जाता है।जानने के लिए पढ़िए मेरी कहानी "खेल खेल में - जादूई"नायक शुभ पीजी में अपने फ्रेंड के साथ रहता है।शुभ को किताबें पढ़ने का शौक होता है। "चल ने यार शुभ, हम एम.जे. लाइब्रेरी जाते है।"  नीरज बोला. "नहीं..आज नहीं जाऊंगा" शुभ ने कहा। "लेकिन क्यों?" "आज मैं संडे गुजरी बाज़ार जाना चाहता हूँ, जहां पुरानी किताबें मिलती है सस्ते दामों