मैं तो ओढ चुनरिया - 66

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  66        मामा मामियों और बहन भाइयों से मिल कर मन थोङा बहल गया था । वहाँ हमने स्वादिष्ट भोजन खाया । मामियों ने सारा खाना मेरी पसंद का बनाया था । मैंने जी भर कर खाया । फिर पता नहीं ऐसा स्वादिष्ट खाना कब नसीब होगा । फिर बहन भाइयो के साथ ढेर सारे खेल खेले । उनके साथ अंत्याक्षरी खेलने में दो घंटे कैसे बीते , पता ही नहीं चला । इस तरह दो तीन घंटे मजे से बीते । चलते हुए शगुण अलग से मिला । मामा तो विदा करना ही नहीं चाहते थे