खबर-संसार - लेखक मनोज कुमार

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दर्द इतना है बताऊं कैसे,प्यार अपना जताऊं कैसे।मेरा पहला और आखिरी प्यार तू है,बता किसी और को अपनाऊं कैसे।तुझे देखने का सपना था अपने साथ,किसी और के साथ देखने की हिम्मत लाऊं कैसे।जो तेरे साथ खाई थी कम जीने मरने की,बता उन कसमों को भुलाऊं कैसे।आते हैं आंसू आज भी तुझे सोच कर,बता उन आंसुओं को छुपाऊं कैसे।मैं तेरे हर एक एहसास से वाकिफ हूं,पर तुझे मैं अपनी हालत बताऊं कैसे।तूने तो लाख बुराइयां कि मेरी महफिल में ,बता तेरी बुराई बताऊं कैसे।दुनिया पूछती है हमारे रिश्ते के बारे में,तू छोड़ गई मुझे, यह बात उनको बताऊं कैसे।तू तो वादे