कहावत सुनी ही होगी जब शिष्य तैयार होता है गुरु प्रकट होता है। मुझे मेरे गुरु ओशो केसे मिले लेकिन एक बात वो मुझे वैसे नही मिले जैसे आप अपने गुरुओं के पास जाते हो उनके पास बैठ सकते हो लेकिन मैं उतना किस्मत वाला नही जब तक गुरु जी की जरूरत पता चलती वो तो इस धरती से विदा हो लिए बस पींछे अपने ऑडियो वीडियो और बुक और साथ ही इतने गुरु भाई और मां जिनके बीच मुझे कभी उनकी कमी महसूस नही होती और मजेदार उन सबसे या कुछ एक दो से भी में आमने सामने नही मिला बस