Decode Dil

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  1. मेरा घर ....... घर जाता हु तो मेरा हि बैग मुझे चीडाता है ,मेहमान हु अब मन पल पल मुझे सताता है..! मां केह्ती है सामान बैग मै फोरण डालो ,हर बार तुमारा कुच ना कुच चुठ जाता है...! घर पहुचने से पहिले लोटणे का टीकट, वक्त परिंदे सा उडता जाता है ...! उंगली यो पर लेकर जाता गिनती के दो दिन ,पास पडोस जहा बच्चा भी था वाकीफ ,आज बडे बुजुर्ग बोलते कब आया पुचने ...! कब तक रहोगे पुच्छ कर अनजाने मै वो और गेहरा कर जाते वो घाव , ट्रेन मै मां के हाथो कि