स्वयंवधू - 32

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विनाशकारी जन्मदिन अंतिम भाग"अक! उनका ख्याल रखना।", वह शर्मा कर कमरे से बाहर भाग गयी,उसने अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर लिया।"यह क्या था?", (और मेरा दिल? यह इतनी तेजी से क्यों धड़कना चाहता है?) वह भ्रमित और परेशान महसूस कर रही थी। असमंजस में उसने आईने की ओर देखा। तभी उसे एहसास हुआ कि उसने हूडी पहन रखी थी, जो बिल्कुल वैसी ही थी, जैसी उसने पहले कवच के लिए खरीदी थी। यह कवच के लिए छोटा था और उसके लिए बड़ा था। वह पूरी तरह से कवच के खून से लथपथ थी और उसके माथे और गाल पर उसके