समर पाँच साल का हो चुका था। गाँव की प्राथमिक शाला में उसका प्रवेश हो चुका था। उसका दोस्त मलिक उसके साथ ही था। वे दोनों नियमित शाला में जा रहे थे। शाला में प्रवेश हुए उन दोनों को सोलह दिन हो चुके थे। पहले तो समर को लगता था कि जैसे किसी ने भारी गठरी उनके ऊपर रख दी हो, मगर जैसे-जैसे दोस्त बनते गए वैसे-वैसे गठरी हल्की होती गई। उसने दृढ़ संकल्प बना ही लिया था कि पुलिस अफसर बनना ही है। समर को हर रोज कक्षा का रंगमंच बदलता नज़र आ रहा था मगर एक