मंजिले - भाग 7

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    मंजिले ----( ये वो होती ) -----            आप पढ़ने वाले है, चलो ये कभी किसी का मरा ही नहीं, आख़री दम तक" ये " पीछा ही नहीं छोड़ती। छोड़ ने को हम इसे राजी है ही नहीं।           " तुम्हारे जगहा अगर ये वो होती " सुनने वाले का दिल उछल जाता है, "सोचता है ये वो होती, तो कया उखाड़ लेती।" सच मे यही सोच है सब की.... अगर गर्मी है, ओ नो गर्मी, " ये वो  होती ( जानी ठंड ), तो कमबख्त जी  दिसबर होता, जून नहीं होती.... कैसे