मंजिले - भाग 2

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                        ( मोक्ष ) " ------ आप को भगवान समझना बहुत कठिन है, आपकी लीला कोई नहीं जान सकता, आप खुद ही कारज करने वाले और कराने वाले है । ""आपकी लीला कौन जानता है " शर्मा जी ने उच्ची आवाज मे कहा।" आप ही है, जो चराचर जगत का ख़याल रखते है । " शर्मा जी आँखे मुद कर बैठे ही थे। --- कि तभी घंटी वजी, तंदरा टूटी। "कौन है भाई " ------" अंधा हुँ , बहुत मुश्किल  से  घंटी वजाई है। ये यात्रा बहुत मुश्किल से कर रहा