-----(19)----- सगीना बरसात का मौसम निहार रही थी, बालकोनी मे ख़डी। सड़क का नजारा, कया नजारा था, पहाड़ीयों के बीच जैसे ख़डी हो और भीग रही हो, एक एक बून्द जैसे उसके ऊपर और वो सिकुड़ रही हो.... बस ये खाब था, जो जल्द ही जॉन ने तोड़ दिया... पीछे से जोर से माधुरी उर्फ़ सगीना को बाहो मे भींच लिया, " माँ तुम हैरान हो " सगीना उल्टा प्रश्न सुन के