अध्याय 22 “क्या बोल रहे हैं?” “जिसके लिए आया था वह खत्म हो गया। जाते समय विस्तार से बताऊंगा। अब हम मंदिर जाकर स्वामी का दर्शन करें?” धनंजयन बोला। “आई मैं ही आपको लेकर चलता हूं” कहकर सदाशिव मामा उठे। मंदिर बहुत बड़ा और बहुत ही गंभीर था। पुराने समय का मंदिर, सीमेंट, पोक लाइनर, ऐसा कुछ भी नहीं था उसे समय वह छूने का मिले मिलकर बनाया हुआ मंदिर था। हरएक खंबे पर मूर्तियां थीं। मंडप के ऊपर भी कारीगरी करी हुई थी। अपने मोबाइल फोन पर उनकी फोटो लेते हुए भगवान के गृह में जाते समय घबराते