अपराध ही अपराध - भाग 20

अध्याय 20   “मैं पर्सनल सेक्रेटरी हूं। वे अब बाहर जाने-आने, के स्थिति में नहीं हैं। इसीलिए वे अपनी लड़की कार्तिका के द्वारा ही इस इंडस्ट्री को चला रहे हैं। “कार्तिका नहीं मेरा चयन किया है। उनकी समस्याओं के मदद करने के लिए ही मैं भी सेक्रेटरी के आम के लिए ज्वाइन किया है” धनंजयन ने बोला। “ओ…कहानी ऐसी जा रही है? उनकी मदद करने के लिए तुम। तुम्हारी मदद करने के लिए मैं?” कुमार बोला। कर को चलते हुए अटल अटल और गंभीर वाणी से “हां। मैं नहीं हूं अब… हम हैं ठीक?” धनंजयन बोला। उसके लिए सहमति दिखाते