----(17)---सूरज दुपहर को कुछ गर्मी दें रहा था, इतनी ठंड नहीं थी, वो भी दिल्ली का, जो दिल वाले कि। रीना को फोन पर कुछ ऐसा समझा ता है, दूर से कुछ इशारे ही नजर आते थे, ये फोन कनाट प्लेस के बूथ से हो रहा था।राहुल दरवाजा खोल निकल जाता है, वही जिसका उसने अड्रेस दिया था। बेकरी बॉयज पर आ कर लाल रंग कि गाड़ी रूकती है।रीना के साथ उस गाड़ी मे वो उसके फ्लेट मे जाता है, जो कभी यहाँ इकठे सब कोई न कोई उत्स्व मनाते थे।लॉक बड़ी मुश्किल से खुलता है। दरवाजा खुला, दोनों अंदर आये।