*️**"सुख और दुःख मन की देनहै - "*~~~~~~~~~~~~~~*एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों किसान थे। भगवान का भजन पूजन भी दोनों करते थे। स्वच्छता और सफाई पर भी दोनों की आस्था थी, किन्तु एक बड़ा सुखी था, दूसरा बड़ा दुखी।**गुरु की मृत्यु पहले हुई पीछे दोनों शिष्यों की भी। दैवयोग से स्वर्गलोक में भी तीनों एक ही स्थान पर जा मिले, पर स्थिति यहां भी पहले जैसी ही थी।**जो पृथ्वी में सुखी था, यहाँ भी प्रसन्नता अनुभव कर रहा था और जो आए दिन क्लेश-कलह आदि के कारण पृथ्वी में अशांत रहता था, यहाँ भी अशांत दिखाई दिया।**दुखी शिष्य ने