दया की महिमा

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              दया की महिमा एक बहेलिया था। चिड़ियों को जाल में या गोंद लगे बड़े भारी बाँस में फँसा लेना और उन्हें बेच डालना ही उसका काम था। चिड़ियों को बेचकर उसे जो पैसे मिलते थे, उसी से उसका काम चलता था।एक दिन वह बहेलिया अपनी चद्दर एक पेड़ के नीचे रखकर अपना बड़ा भारी बाँस लिये किसी चिड़िया के पेड़ पर आकर बैठने की राह देखता बैठा था। इतने में एक टिटिहरी चिल्लाती दौड़ी आयी और बहेलिये की चद्दर में छिप गयी।टिटिहरी ऐसी चिड़िया नहीं होती कि उसे कोई पालने के लिये खरीदे। बहेलिया