(4) --------" कहने को कुछ भी कह लो। जो लिबास है, यही कहेगे। ? ? जिंदगी जंगल सी है, शहरो की... काम बाद मे घर.... बस यही एक दो का पहाड़ा चले जाता है। "कहने को मुंशी पर पिता के समान रखता था राहुल। मेहरबानी के इलावा कोई अल्फाज़ नहीं थे.... कब कया घटित हो जाये। कौन नहीं जानता।। 4 शेयर पर टिकी थी आज के पंछीयो की कहानी। कौन जानता था, कल कया होने वाला है। बहुत कम लोग जानते थे, फुटपाथ से रोहित के दादा के दादा ने काम किया... और आज कया से कया हो गया। जानते हो दादा ने मरने वक़्त कया कहा था "बैंक आसानी से नहीं, छोड़ता, चाये इसके बदले न चाहते खुदकशी ही कर लीं जाये। मोटे चश्मे वाली एक सुपर डेंट मेरे पास लिफ्ट मे थी। अजीब बदोबस्त था, एक आदमी लिफ्ट मे पहले से मजूद था। उसने जल्दी से मेरे सिर..