आलेख -स्वच्छ पर्यावरण मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जिस तरह से वह अपने जीवनचर्या का क्रियान्वयन और परिणाम का निर्धारण करता है, वैसा ही आगे उसके सामने आता ही है। चाहे वो निजी, पारिवारिक या सार्वजनिक जीवन हो। ऐसा ही कुछ पर्यावरण के साथ है। आज जब दुनिया तकनीक की बदौलत विकास के नव आयाम स्थापित करने पर आमादा है, उसे पूरी तरह अनुचित तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन सही भी नहीं कहा जा सकता। उसका कारण यह है कि हम विकास की आड़ में पर्यावरण ही नहीं प्रकृति की भी अनदेखी जो कर रहे हैं।