और शबनम उसे कोई काम नही करने देती थी।वह शबनम के इशारे और क्या बोलती है कुछ कुछ समझने लगा था।जो बात समझ मे नही आती तब वह उससे लिखने के लिव कहता था।और सिथति सामान्य होने में पूरे दस दिन लग गए थे।वह शबनम को लेकर उसकी बस्ती में गया था।बस्ती उजड़ चुकी थी।दंगे में कुछ लोग मारे गए थे।बचे कूचे चले गए थे।जाकिर भी दंगे की भेंट चढ़ गया था।शबनम अपने अब्बा के मरने पर खूब रोई थी।वह उसे अपने साथ ले आया था।एक दिन बोलातुम्हारी शादी करा देता हूँगूंगी से कौन शादी करेगासुंदर हो।पढ़ी हो।समझदार हो।लेकिन कोई