एक औरत से उसे ऐसी उम्मीद नही थी।वह यह सोचकर आया था कि उसकी नीच और घिनोनी हरकत पर उसके साथी उसे डांटेंगे, जलील करेंगे, भला बुरा कहेंगे। लेकि न जैसा वह सोचकर आया था वैसा नही हुआ था।बल्कि उलट।उसके सहकर्मी उससे कुछ कहने की बजाय उसके पुरुष सहकर्मी उसकी पत्नी को ऐसे घूरकर देखने लगे मानो वह बाजारू औरत हो।बिकाऊ माल हो।उसके साथ काम करने वाली औरतों ने तो हद ही कर दी थी।एक महिला सहकर्मी ने तो उसका पक्ष लेते हुए उसकी पत्नी पर ऐसे आरोप लगाए थे कि उसे ऐसा लगा मानो उसे सरेआम नंगा कर दिया