लड़के कभी रोते नहीं

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आया था मैं जब दुनिया में,मां बाप मेरे थे मुस्करा उठे ।इकलौता ऐसा दिन था जब रोता देख मुझे,वो दोनों थे खुश हो रहे ।क्योंकि उसके बाद फिर कभी आई नहीं,आंखों में आंसू की धार मेरे ।चलने की कोशिश में जब गिरता था मैं,आंसू की बूंदें आईं आंखों में मेरे ।लेकिन मेरे रोने से पहले ही,एक आवाज पड़ी कानों में मेरे ।लड़की नहीं हो तुम फिर,ये आदत किसने लगाई तुम्हें !फिर ये बात सिखाई, मिल कर मुझको सभी ने । लड़का हो तुम और,लड़के कभी नहीं हैं रोते ।छोटा था मैं इतना कि,समझ इतनी नहीं थी मुझमें ।फिर चोट लगने पर भी