यथावत्ता प्रकाश के यथावत् ज्ञान की

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यथावत्ता प्रकाश के यथावत् ज्ञान कीअधिकतर हम देखते हैं कि कुंडली तो शुभ योगों या फलों कि ओर या अशुभ फलों कि संभावनायें बताती हैं पर वास्तविकता विपरीत होती हैं तो इसका कारण यह नहीं कि वह शाश्वत ज्ञान अर्थात् विज्ञान नहीं हैं अपितु ज्योतिष तो शिव अर्थात् शाश्वत (जो सदैव हैं उनके तीसरे नेत्र का यानी समझ के आयाम का सटीक वेदों के माध्यम् से प्राप्त हुआ और वेदांत के माध्यम् से सटीकता के योग सें स्पष्टता के साथ ज्ञात हुआ ज्योति का विज्ञान हैं। ज्योतिष को अहमियत नहीं देना उसके बारे में पूरी जानकारी के आभाव वश ही