जीवन सरिता नौन - ७

  • 189

स्‍वीकारो इस पाबन जल को, मुझको यहां मिलाओ। खुशी हुआ तब सुनत मैंगरा, आओ भाई आओ।। चीनौरिया मिल, चला मेंगरा, ग्राम गोबरा आया। कोशा को अपना कर चलता, मिलघन को सरसाया।।69।। धीरज धार धिरौरा चल दी, मिलघन से बतियायी। जाबल और कटीला से मिल, ग्राम लिधोरा आई।। लयी बिठाय किशोली ओली, झोली भर दी सारी। चली अगारी सभी बांटती, श्री नगर की तैयारी।। 70।। -------------- तृतीय अध्याय यहां बनाया विश्राम स्‍थली, फ्लाई बांध अनूपम। प्राकृतिक सौन्‍दर्य धरा का, अद्भुत अगम सरूपम।। गिरती जल धारा ऊपर से, लगत नर्मदा माई। सुहानी फुहारैं बन जल गिरता, सहात्राधार कहाई।। 71।। जलधारा का वेग