उजाले की ओर –संस्मरण

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================== स्नेहिल नमस्कार प्यारे मित्रों आशा है सब कुशल-मंगल हैं | श्राद्ध-पक्ष के बाद त्योहारों का मौसम आ गया है | हमारा भारत त्योहारों का रंग-बिरंगा देश है | एक अलग ही सुगंध से भरा हुआ, पावन संदेशों से ओतप्रोत ! किसी झरने के पानी की कर्णप्रिय आवाज़ सा सुमधुर ! नवरात्रि का शुभारंभ हुआ और हर मन के कोने से माँ की स्नेहिल छबि झाँकने लगी | माँ, जो सर्वव्यापी है, माँ जो जननी है, माँ जो धरती है जिस पर हमें जन्म मिला है | इस धरती माँ के कितने अहसान हैं हम पर! जन्म से लेकर अपने