प्रतिशोध - 4

वह ऐसी जिल्लत भरी जिंदगी से तंग आ गयी थी।रोज के ताने और मारपीट ने उसे तोड़कर रख दिया था।वह ऐसी जिंदगी से बेहतर मर जाना पसंद करने लगी थी।उसे आत्महत्या जिंदगी से बेहतर लगने लगी।कम से कम इस जिल्लत भरी जिंदगी से तो छुटकारा मिलेगा।और वह अपने फैसले को अमली जामा पहनाती।उससे पहलेसर्दियों के दिन।वह कपड़े सुखाने के लिए छत पर गयी थी।आज उसने सिर धोया था।वह कपड़े सुखाने के बाद छत की मुद्गली पर बैठ गयी।उसने बाल सुखाने के लिए बालो को फैलाकर बैठ गयीसूंदरतभी उसे आवाज सुनाई पड़ी थी।उसने भृम समझकर झटक दियाकुछ देर बाद फिर आवाज