दोहें का साहित्यिक विवेचन - 2

तेरा मेरा सब कहें,सब का कहे ना कोई।जो सबको सबका कहे, प्रभु प्यारा सोई।।इस दोहे का साहित्यिक विवेचन ।।@ इस दोहे में एक गूढ़ दार्शनिक और आध्यात्मिक संदेश है। यहाँ "तेरा" और "मेरा" के माध्यम से भेदभाव और स्वार्थ की भावना की ओर संकेत किया गया है, जो मनुष्य के अहंकार से जुड़ी होती है। दोहे का पहला भाग "तेरा मेरा सब कहें, सब का कहे ना कोई" इस बात पर प्रकाश डालता है कि लोग अक्सर चीजों को अपने और दूसरों के बीच विभाजित करते हैं—अपने और पराए का भेद करते हैं। यह स्वार्थ और व्यक्तिवाद को दिखाता है,