मोहनलाल ने पत्र को ध्यान से देखा और सोचा कि कहीं कुछ शब्द तो पढ़े जा सकते हैं। उसने पत्र को देखा और धीरे-धीरे-धीमे शब्दों को पढ़ा।मैं...मित्र.... नागराज... मेरी पत्नी नागलोक... नागमणि... देविका के अंदर है। वह बस इतने ही कुछ शब्द समझ पा रहा है।। मणि... देविका... मोहनलाल को लगता है कि यह शब्द किसी महत्वपूर्ण संदेश को प्रदर्शित कर रहा है। उन्होंने आगे पढ़ने की कोशिश की, लेकिन इंक की वजह से शब्द धुंधले हो गए थे।"देविका की शादी 23 दिसंबर को दक्ष के साथ होगी.. आम इंसान से नहीं... भस्म हो जाती है... नागलोक..... मोहनलाल को यह शब्द समझ