..... चलिए चलते है आगे... जैसे ही दक्ष कुटिया के पास पहुंचा, उसने देविका और मोहनलाल को दरवाजे पर खड़े देखा, उनकी आँखों में आँसू चमक रहे थे। वह मोहनलाल की ओर दौड़ा और उसे गले लगा लिया और फिर देविका की ओर दौड़कर उसे कसकर गले लगा लिया। "मैंने तुम्हें बहुत याद किया," वह फुसफुसाया, उसकी आवाज भावनाओं से कांप रही थी।देविका मुस्कुरायी, उसका हृदय खुशी से भर गया। "मैंने भी तुम्हें याद किया है," उसने जवाब दिया, उसकी आवाज़ मुश्किल सुनाई दे रही थी।️जैसे ही वे गले मिले, शोर-शराबे के बारे में उत्सुक होकर ग्रामीण आसपास इकट्ठा होने