कोमल की डायरी - 5 - ओस सी पवित्र मुस्कान

पाँच ओस सी पवित्र मुस्कान                                                                          गुरुवार, उन्नीस जनवरी, 2006आज सुबह ठंडक कुछ अधिक थी। मैं सबेरे उठा तो आसमान साफ था पर थोड़ी ही देर में कुहरा छाने लगा। उगते सूर्य को देखा नहीं जा सका। अखबार वाले गिनकर बताया करते हैं कि प्रदेश में ठंड से कुल कितनी मौतें हुई। उंगलियाँ कनकना रही थीं। रोटी के लिए आटा सान मैंने स्टोव जलाया। तवा रख