मैं तो ओढ चुनरिया - 63

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मैं तो ओढ चुनरिया     23   कमरे में आये हुए उसे काफी देर हो गयी थी । ज्यों ज्यों वक्त बीत रहा था , उसकी घबराहट बढती जा रही थी । क्या आज उसे बेटे से बिना मिले ही लौटना पङेगा । पाँच बजते ही मुलाकात का समय समाप्त हो जाता है । उसके बाद यहाँ किसी की मुलाकात नहीं होती और जिस तरह से वह दोपहर का आया अभी तक बेटे की एक झलक तक नहीं देख पाया , पाँच बजने में कितनी देर लगेगी । वह उठ कर बाहर के कमरे में खङे सिपाही के पास