सोते-सोते जग गए।

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।। दोहा विवचन।।सोते-सोते जग गए जाग कर फिर गए सो ।यह जीवन नर पशु का है तू ऐसा मत हो। ।इस दोहे का साहित्यिक विवेचन ।यह दोहा "सोते-सोते जग गए, जाग कर फिर गए सो / यह जीवन नर पशु का है, तू ऐसा मत हो" में गहरे दार्शनिक और नैतिक अर्थ समाहित हैं। इसमें मानव जीवन की सार्थकता और जागरूकता के महत्व को उजागर किया गया है। आइए इसका साहित्यिक विवेचन करते हैं: **विषय-वस्तु का विवेचन**:दोहा जीवन के प्रति मनुष्य की चेतना और जागरूकता को केंद्रित करता है। इसमें एक व्यक्ति को संबोधित करते हुए उसे चेताया गया है ।