वीर जिसने अपनी प्रेमिका को ऐसा काम करने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया था; वह भी पछता कर केवल हाथ मलते रह गया। वह सोच रहा था ऐशो आराम की ज़िन्दगी पाने की ग़लत लालसा ने अपनों के अलावा कितनों का जीवन बर्बाद कर दिया। सब कुछ खोने के बाद उसे होश आया। काश वे दोनों संभल जाते सुधर पाते। वीर को अनन्या के साथ बिताए प्यार भरे लम्हें हर पल याद आते लेकिन वैसे ही लम्हें फिर से कभी हक़ीक़त ना बन पाए। उसके जीवन में निराशा की बदरी ऐसी छाई कि फिर कभी ख़ुशी में ना बदल पाई।