धीरे धीरे आनन्द उठाने के नियम

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एक लंबी कविता जिंदगी की धीमी चाल और उसके आनंद को दर्शाती है:जिंदगी धीमी कदम ताल सी हो,हर पल में सुकून का एहसास हो।न हो कोई जल्दी, न हो कोई भागमभाग,हर लम्हा हो जैसे एक मीठा राग।धीरे-धीरे चलें, हर कदम सोच-समझ कर,हर मोड़ पर हो खुशियों का अम्बर।साधन सारे चलें, बिना किसी रुकावट के,जिंदगी हो जैसे एक सुन्दर गीत के।हर दिन हो एक नई कहानी,हर रात हो एक प्यारी सी निशानी।धीमी चाल में भी हो एक अनोखा मज़ा,जिंदगी हो जैसे एक सजीव ताजमहल का नज़ारा।हर सुबह हो एक नई उम्मीद,हर शाम हो एक नई प्रीत।हर मौसम में हो एक नई