पथरीले कंटीले रास्ते - 21

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  पथरीले कंटीले रास्ते    21   बग्गा सिंह की सारी रात आँखों में ही कटी । तरह तरह की सोचें उसे परेशान किये रही । वह कभी लेट जाता , कभी उठ कर बैठ जाता । कभी इस करवट लेटता , कभी उस करवट । करवट बदल बदल कर वह थक गया । लग रहा था कि आज की रात कभी खत्म ही नहीं होगी । बेटे को करीब दस दिन हो गये थे देखे हुए । पता नहीं किस हाल में होगा । भोर में ही वह उठ कर बैठ गया । अभी गुरद्वारे में भाई जी ने