आम का बगीचा - भाग 2

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'कल पढ़ाया था ना, अ से अनार, आ से आम। लिखो।'यहां भी आम... ये आम, आम होकर भी इतना ख़ास क्यों है? शायद यही विचार रानी के भी थे, लेकिन नन्ही जान इतनी गहराई से बोलेगी कैसे। उसने आम भले ही नहीं लिखा, लेकिन अपनी गर्दन टेढ़ी कर ऊपर की तरफ़ लटक रहे आमों को देखा ज़रूर। 'चल लिख अब। नहीं तो अम्मा आ जाएगी बुलाने, फिर पढ़ती रहना।'रानी और मास्टर जी ने कुछ देर पढ़ाई की और जब रानी ने 'उ से उड़ना, ऊ से ऊंचा' कहा तो मास्टर जी हंस पड़े। 'उ से उल्लू, ऊ से ऊंट। तू