अनन्या को अपनी योजना सफल करने के लिए यदि फ़िक्र थी तो वह सिर्फ वीर की थी। वह चाहती थी कि इस काम में वीर पूरे मन से उसके साथ हो। अनन्या ने वीर से पूछा, "तुम मेरा साथ दोगे ना वीर?" "हाँ-हाँ अनन्या मैं तुम्हारे साथ हूँ और क्या फ़र्क़ पड़ता है यार, ज़्यादा से ज़्यादा तुम्हें उसके साथ सोना पड़ेगा तो ठीक है ना कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। तुम अपनी कोशिश में कमी बिल्कुल मत आने देना। उस पर अपना तन भले ही न्यौछावर कर दो बस मन मत करना वह तो केवल मेरा है।" अनन्या ने कहा,