मैं ही मैं हूँ आप कुछ भी नहीं

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मैं ही मैं करूंगा नेताओं की प्राथमिकताएँ और जिम्मेदारियाँ: एक व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण"वो पुल कौन उद्घाटित करेगा? वो स्कूल के बच्चों से बात कौन करेगा? वो मंदिर में हजार दिये कौन जलाएगा? वो ट्रेन को झंडी कौन दिखाएगा? वो वैक्सीन किसी नेता के नाम से चलेगी न? वो पेड़ की डंडी पर कौन लेबल लगाएगा? फूल आ गया पहला, कौन तोड़ेगा?" इन सभी सवालों का जवाब है "सिर्फ मैं।"नेताओं की यह स्थिति हमारे समाज में एक आम दृश्य बन चुकी है। वे हर जगह दिखते हैं, हर कार्यक्रम में, हर उद्घाटन में, हर समारोह में। लेकिन जब जिम्मेदारियों की बात आती है,