रावी की लहरें - भाग 23

  • 909
  • 357

गुबार   “पापा आ गए, पापा आ गए।" कहते हुए दिवाकर के दोनों बच्चे दिवाकर से लिपट गए। " आज बड़ी देर कर दी आने में।" दिवाकर की पत्नी बोली । दिवाकर ने कुछ जवाब नहीं दिया और गुमसुम सा बैड पर बैठ गया ।" मेरी किताब लाए पापा ?" “आज ध्यान नहीं रहा, कल ले आऊंगा।" दिवाकर ने अनमने भाव से उतर दिया ।" परसों मेरा टैस्ट है। आपसे कितने दिन से कह रहे हैं। आप रोज़ यही कह देते हैं पर लाते कभी नहीं हैं। अब मैं टैस्ट कैसे दूंगा?" “कल ज़रूर ले आऊँगा ।" "आप रोज़ ऐसे