रावी की लहरें - भाग 22

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सुख का महल   एस.पी. दिनेश वर्मा अपने ड्राइंग रूम में चहलकदमी कर रहे हैं। उनके बाल बिखरे हुए और कपड़े अव्यवस्थित हैं। उनके चेहरे से गहन चिन्ता झलक रही है। आज चार दिन हो गए हैं उनकी बेटी रागिनी के अपहरण को । अथक प्रयासों एवं भागदौड़ के बावजूद भी वह उसका कोई सुराग नहीं पा सके हैं। सुरक्षा की दृष्टि से जिले के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के बावजूद इस समय वह अपने को अत्यन्त असहाय महसूस कर रहे हैं। वह टहलते - टहलते रुक जाते हैं, कुछ सोचते हैं, और फिर टहलने लगते हैं। चौदह वर्षीय