रावी की लहरें - भाग 18

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आखिरी सफर   नगरपालिका की घड़ी ने टन - टन कर चार घंटे बजाए थे । चार बज गए, रमेश हड़बड़ा कर उठकर बैठ गया । वह शौच आदि से निपटने चला गया। रमेश लौट कर आया तो उसने देखा कि अनवर अभी तक सोया पड़ा है।  रमेश अनवर को झिंझोड़ते हुए बोला - 'जल्दी उठो अनवर, चार बज गये हैं। अगर बारामूला जाने वाली पाँच बजे की बस निकल गई तो दिन छिपने से पहले गाँव पहुँचना मुश्किल हो जायेगा ।  अनवर कुछ देर तक अलसाया सा पड़ा रहा, फिर जमुहाई लेते हुए उठ खड़ा हुआ। अभी तक उस