रावी की लहरें - भाग 15

  • 849
  • 297

ऐश्वर्य की लालसा   पहाड़ों की सुरमई वादियों की गोद में दूर-दूर तक फैले हरे-हरे चाय के बागानों को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो किसी ने जमीन पर दूर-दूर तक हरी चादर बिछा दी हो। बागानों के बीचो-बीच बना था मेजर रमनदीप का खूबसूरत और भव्य मकान। मेजर रमनदीप अब अपने पैरों पर नहीं चल पाए थे। एक एक्सीडेंट में उनका पैर खराब हो चुका था इसलिए वह व्हील चेयर का सहारा लेते थे और घर की बालकोनी से ही अपने चाय के बागानों को देखा करते थे।  उनके बागानों में दर्जनों स्त्री-पुरुष काम किया करते थे। उस