रावी की लहरें - भाग 13

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बड़े ठाकुर   दरबान बुद्धा सिंह ने दीवार पर लगी घड़ी पर नजर डाली। रात के ग्यारह बज चुके थे। इतनी रात बीत गई, मगर एम. एल. ए. साहब अभी क्षेत्र के दौरे से नहीं लौटे थे। बुद्धा सिंह उन्हीं के आने की प्रतीक्षा में जाग रहा था।  सुस्ती दूर करने के लिए उसने बीड़ी सुलगाई। जब इससे भी सुस्ती दूर न हुई तो वह उठकर लॉन का चक्कर लगाने लगा। तभे गेट पर किसी गाड़ी की हैड लाइट्स पड़ी। दरबान बुद्धा सिंह ने लपक कर गेट खोला। एम.एल. ए. साहब लौट आए थे। गाड़ी लॉन में आकर चरमरा कर