रावी की लहरें - भाग 8

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जमीन का पट्टा   रविवार का दिन था। मैं अपने एक वकील मित्र के घर बैठा हुआ शाम की चाय पी रहा था। वकील साहब के कुछ और मित्र भी आए हुए थे। विभिन्न विषयों पर बातें हो रही थी । मैं चुपचाप बैठा हुआ सबकी बातें सुन रहा था।  उसी समय एक बूढ़ा आदमी वहाँ आ गया। वह ठेठ देहाती लग रहा था। बूढे ने वकील साहब को नमस्ते की और पूछा - 'हमें मुकदमा जीते हुए तीन महीने हो गए, पर आपने जमीन पर कब्जा अभी तक नहीं दिलवाया। उसमें कितना और समय लगेगा, साहब?'  वकील साहब ने