,, तुमने आज तक दिया ही क्या है, पूरे साल में केवल एक सूट, कई कई दिन में एक बार सब्जी और दिन चटनी के साथ रोटी वो पेट भराई नही,,। पत्नी अंजुम की आवाज में आज बहुत ही कड़वे अंदाज का एहसास हुआ अखलाक अदम को, सोचने लगा कि बात तो सही कह रही है अंजुम फिर भी थोड़ी हिम्मत जुटा कर कहा,, बेगम मैं जानता हूं कि तुम जो कह रही हो कटु सत्य है, लेकिन यह बात भी सच है कि जिस दिन मेरे उपन्यास छपने शुरु हो जाएंगे, हमारे घर की गरीबी एकदम से दूर हो