कुकड़ुकू - भाग 17

  • 1.3k
  • 405

देखते ही देखते शाम के सात बज गए। अब तक तो खाना बनना भी शुरू हो चुका था। जानकी और शांतिखाना बना रहे थे और शिल्पा उनका हाथ बटा रही थी। सुशील और शेखर आंगन मे बैठकर बाते कर रहे थे।“अरे यार सुशील, मैने तो सोचा भी नही था की रघु इतनी जल्दी इतना अच्छा फुटबॉल खेलना सिख जायेगा, मैने तो आजतक ऐसा कोई खिलाड़ी नही देखा जो एक दो हफ्तों मे इतना अच्छा फुटबॉल खेलना सिख गया हो।” शेखर ने रघु की तारीफ करते हुए सुशील से कहा। “अरे हां यार, सोचा तो मैने भी नही था की रघु इतनी