सावन का फोड़ - 17

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लेखराज तुम्हे जहां हम भेज रहे है उसे सपनो कि नगरी कहते है वहां तो माल मिलना बहुत आसान है क्योकि हर कमसिन खूबसूरत बाला फिल्मी दुनियां कि स्टार बनना चाहती और बम्बई के सपने संजोती है वहाँ पहुँचने एव फिल्मी दुनियां में कुछ दिन रात गुजारने के बाद उसे अंधी गली कि अंधी दुनियां ही मिलती जहां बहुत तो मर खप जाती बहुत कम ही लौट कर आती है.लाखो में एक दो अपना सब कुछ गंवाने के बाद स्टार भी बन जाती जो औरों के लिए नजीर पेश करती जिसकी प्रेरणा में जाने कितनी जाने गुमनामी के अंधेरे में