-“नानक दुखिया सब संसार” शहर की झोपड़पट्टी माने वाले इलाके का नाम इंद्र पुरी था । अपने नाम के उलट मुर्गी के दड़बों की तरह बेतरतीब बसी हुई इंद्रपुरी झोपड़पट्टी की एक झोपड़ी से निब्बर रोजगार पर जाने के लिये बाहर निकला। दरवाजे के पास एक लोहे के मजबूत पाए से बंधे जंजीर का ताला खोलकर उसने रिक्शा निकाला । रिक्शे को उसने झाड़ा- पोंछा ,तेल - फुलेल डाला और भगवान का नाम लेकर चल पड़ा। बिस्तर पर पड़ी उसकी पत्नी रधिया उसे लाचारी से जाते हुए देखती रही । उसकी तबियत इतनी खराब थी कि उठकर चूल्हा भी न