सावन का फोड़ - 9

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अद्याप्रसाद और रजवंत को उनकी पत्नियां मुन्नका और शामली नियमित कोसती कैसे बाप हो मासूम बच्चे पता नही कहा किस हाल में होंगे पता नही करते और बहाने बना कर हम लोगो को तिहा(सांत्वना) देते रहते अद्याप्रसाद और रजवंत पत्नियों के ताने सुनकर थाना पुलिस और शासन प्रशासन को गुहार लगाते वहां से डांट फटकार खाते बेइज्जती महसूस करते और लौट कर पुनः पत्नियों को नया बहाना बताते ऐसे ही एक दिन अद्याप्रसाद रजवंत जिलाधिकारी के यहाँ अपनी फरियाद लेकर पहुँचे थे दोनों जिलाधिकारी कि प्रतीक्षा कर रहे थे कि वहाँ पहले से बैठा एक व्यक्ति शिधारी ने अद्याप्रसाद प्रसाद